रायगढ़ पर्यावरण विभाग की लापरवाही किसी से छुपी नहीं है, रायगढ़ में संचालित सैकड़ों फैक्ट्रियां होने के कारण प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा होती है पर पर्यावरण विभाग का ध्यान इस ओर बिल्कुल नहीं जाता हां कभी कबार साल 6 महीने में एक आद बार खानापूर्ति के लिए कार्यवाही की जाती है वह भी नाम मात्र की।
आज तक रायगढ़ पर्यावरण विभाग ने कभी भी सभी फैक्ट्रियों की पूरी तरह मॉनिटरिंग नहीं की है प्रदूषण मापक यंत्र और प्रदूषण नियंत्रण यंत्र कंपनी वाले चला रहे हैं कि नहीं इसकी भी जांच इनके द्वारा कभी नहीं की जाती है जिसका खामियाजा पूरे रायगढ़ वासियों को भुगतना पड़ रहा है और आज यह स्थिति आ गई है कि पूरे भारतवर्ष में हमारा रायगढ़ पहले पायदान पर जा पहुंचा है वह भी प्रदूषण के मामले में।
क्या रायगढ़ पर्यावरण विभाग रायगढ़ का नाम रोशन करने के लिए कुंभकरनीय नींद में सो रहा है, या फिर फैक्ट्री मालिकों द्वारा पर्यावरण विभाग को अपने अधीन कर लिया गया है जिसके कारण आज तक रायगढ़ पर्यावरण विभाग ने किसी भी कंपनी के ऊपर किसी प्रकार की कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की अगर ऐसे ही चलते रहा तो निश्चित तौर पर बहुत जल्द रायगढ़ एक खंडहर में तब्दील हो जाएगा।
आखिर रायगढ़ में पर्यावरण विभाग का काम ही क्या है सिर्फ फैक्ट्रियों की जनसुनवाई करवाना नए फैक्ट्रियों को यहां स्थापित करना या फिर जो फैक्ट्रियां यहां पूर्व से संचालित हो रही है उनकी नियमित जांच करना।
खैर रायगढ़ वासियों के लिए एक खुशखबरी यह भी है कि रायगढ़ की बागडोर अब संवेदनशील कलेक्टर भीम सिंह के हाथों में है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही पर्यावरण विभाग पर भीम सिंह के हाथों का गाज गिरते देर नहीं लगेगी।